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श्रम कानून

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श्रम कानून अधिनियम 1976 के अनुसार समान काम के लिए सामान मजदूर की व्यवस्था है। चाहे महिला हो या पुरूष। यदि कोई भी मजदूर पांच वर्ष से अधिक समय तक कोई कंपनी में कार्य में कार्यरत रहता है तो सामाजिक सुरक्षा के तहत उन्हें ग्रेच्यूटी दी जानी चाहिए। बिना सूचना के नियोक्ता द्वारा श्रमिकों को हटाया नहीं जा सकता है। यदि ऐसा कोई नियोक्ता करता है तो मामले को श्रमिक समायोक्ता के पास लाकर समाधान कराने का प्रावधान है। खनन क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों को सेफ्टी कैप सेफ्टी शू अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए। यदि नियोक्ता श्रम कानून का पालन नहीं करता है तो श्रमिक संघ नियोक्ता के विरुद्ध कोर्ट में केस फाइल कर सकता है। महिला कर्मचारियों को बच्चे के जन्म के समय का वेतन छह माह का मातृ अवकाश तथा गर्भपात होने की स्थिति में सवेतन एक माह का अवकाश लेने का अधिकार है। रोजगार के कारण श्रमिक को किसी भी प्रकार की दुर्घटना जैसे मृत्यु या अपंगता होने पर श्रमिक को नियुक्त आ से मुआवजा पाने का अधिकार है। ईएसआईसी के अंतर्गत आनेवाले श्रमिक लाभ जैसे बीमारी, भत्तासवास, मातृत्व लाभ जैसी सुविधा पाने का हकदार है। प्रोविडेंट फंड कानून के अंतर्गत आनेवाले श्रमिक प्रोविडेंट फंड पेंशन तथा इंश्योरेंस लाभ पाने के हकदार हैं।

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